हदीस

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1 रसूले अकरम (स.अ.व.व): हमेशा मेरे उम्मती खैरो बरकत को देखेंगे जब तक की एक दूसरे से मौहब्बत करते रहे, नमाज पढ़ते रहे, जकात देते रहे और मेहमान की इज़्ज़त करते रहे।(अमाली शेख तूसी पेज न. 647 हदीस न. 1340)