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मस्जिद की इमारत |
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रसूले अकरम स0 अ0 की मस्जिद की इमारत उस तरह से थी कि मस्जिद में चारों तरफ घर बने हुए थे और घरों के दरवाज़े गली के बजाय मस्जिद में खुलते थे। जिसे भी घर से बाहर जाना होता था वह पहले मस्जिद में आता और फ़िर मस्जिद के दरवाजे से गली में जाता। इस दिन भी दूसरे दिनों की तरह घरों के दरवाज़े खुले हुए थे और पैगंबर के असहाब एक-एक करके मस्जिद में आने लगे... नमाज़ का वक़्त हो चुका था पैगंबर मस्जिद में आए और असहाब के साथ उनके पहलू में बैठ गए। अचानक वहीं का फ़रिश्ता मस्जिद में आया... पैगंबर ने फ़रिश्ते को देखा। सलाम के बाद फरिश्ते ने कहा :ऐ पैगंबर! अल्लाह का हुक्म है कि सब लोग अपने अपने दरवाज़े बंद कर लें, मस्जिद आने जाने की जगह नहीं है, यह इबादत की जगह है, सिर्फ एक दरवाज़ा बंद नहीं होना चाहिए। जब फ़रिश्ता चला गया तो पैगंबर उठे और अपने अल्लाह का हुक्म लोगों तक पहुंचाया। उसी दिन दरवाज़े बंद होने का काम शुरू हो गया, लोगों ने लकड़ी के दरवाज़े को उखाड़ कर वहां दीवार बनाई, लेकिन सिर्फ एक दरवाज़ा खुला रहा... पैगंबर दोबारा मस्जिद में आए और मस्जिद के चारों तरफ देखा। एक मुसलमान ने आगे बढ़कर कहा : सिर्फ अली अ0 स0 के दरवाज़े को क्यों खुला रहने दिया गया? मगर उनमें और हम में क्या फ़र्क़ है? कुछ लोगों ने शोरोगुल मचाया और नबी पर एतराज भी किया। पैगंबर स0 अ0 ने कहा : "यह अल्लाह का हुक्म है"।
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